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Hindi Project on महावीर प्रसाद दिवेदी (Mahavir Prasad Divedi) | Class 9 Hindi

महावीर प्रसाद दिवेदी
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Mahaveer-Prasad-Dwivedi

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग ‘द्विवेदी युग’ (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।[1] उन्होंने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।

जीवन परिचय

महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के (बैसवारा) रायबरेली जिले के दौलतपुर गाँव में 9 मई 1864 को हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ रामसहाय दुबे था। ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। धनाभाव के कारण इनकी शिक्षा का क्रम अधिक समय तक न चल सका। इन्हें जी आर पी रेलवे में नौकरी मिल गई। 25 वर्ष की आयु में रेल विभाग अजमेर में 1 वर्ष का प्रवास। नौकरी छोड़कर पिता के पास मुंबई प्रस्थान एवं टेलीग्राफ का काम सीखकर इंडियन मिडलैंड रेलवे में तार बाबू के रूप में नियुक्ति। अपने उच्चाधिकारी से न पटने और स्वाभिमानी स्वभाव के कारण 1904 में झाँसी में रेल विभाग की 200 रुपये मासिक वेतन की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। नौकरी के साथ-साथ द्विवेदी अध्ययन में भी जुटे रहे और हिंदी के अतिरिक्त मराठी, गुजराती, संस्कृत आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। सन् 1903 में द्विवेदी जी ने सरस्वती मासिक पत्रिका के संपादन का कार्यभार सँभाला और उसे सत्रह वर्ष तक कुशलतापूर्वक निभाया। 1904 में नौकरी से त्यागपत्र देने के पश्चात स्थायी रूप से ‘सरस्वती’के संपादन कार्य में लग गये। 200 रूपये मासिक की नौकरी को त्यागकर मात्र 20 रूपये प्रतिमास पर सरस्वती के सम्पादक के रूप में कार्य करना उनके त्याग का परिचायक है।[2] संपादन-कार्य से अवकाश प्राप्त कर द्विवेदी जी अपने गाँव चले आए। अत्यधिक रुग्ण होने से 21 दिसम्बर 1938 को रायबरेली में इनका स्वर्गवास हो गया।

प्रकाशित रचनाएँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी आधुनिक हिंदी साहित्य के विकास में एक प्रमुख व्यक्ति थे। वह एक विपुल लेखक और आलोचक थे और उनके काम ने हिंदी भाषा और साहित्य को परिभाषित करने में मदद की। वह जीवन के सभी क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग के भी प्रबल समर्थक थे और उन्होंने हिंदी को आधुनिकता और प्रगति की भाषा के रूप में बढ़ावा देने में मदद की।

द्विवेदी का काम कविता, कथा, आलोचना और अनुवाद सहित कई शैलियों को कवर करता है। वह संस्कृत साहित्य के भी विद्वान थे और उन्होंने कई संस्कृत रचनाओं को हिंदी पाठकों से परिचित कराने में मदद की। उनके कुछ सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में काव्य-मंजूषा, कविता कलाप और नैषध चरित्र चर्चा शामिल हैं।

द्विवेदी के कार्यों का हिंदी साहित्य के विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ा। उन्होंने एक साहित्यिक भाषा के रूप में हिंदी का दर्जा बढ़ाने में मदद की और उन्होंने कई अन्य लेखकों को अपने काम में हिंदी का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्हें हिंदी साहित्य के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक माना जाता है।

मौलिक पद्य रचनाएँ

  • देवी स्तुति-शतक (1892 ई.)
  • कान्यकुब्जावलीव्रतम (1898 ई.)
  • समाचार पत्र सम्पादन स्तवः (1898 ई.)
  • नागरी (1900 ई.)
  • कान्यकुब्ज-अबला-विलाप (1907 ई.)
  • काव्य मंजूषा (1903 ई.)
  • सुमन (1923 ई.)
  • द्विवेदी काव्य-माला (1940 ई.)
  • कविता कलाप (1909 ई.)

पद्य (अनूदित)

  • विनय विनोद (1889 ई.)- भर्तृहरि के ‘वैराग्यशतक’ का दोहों में अनुवाद
  • विहार वाटिका (1890 ई.)- गीत गोविन्द का भावानुवाद
  • स्नेह माला (1890 ई.)- भर्तृहरि के ‘शृंगार शतक’ का दोहों में अनुवाद
  • श्री महिम्न स्तोत्र (1891 ई.)- संस्कृत के ‘महिम्न स्तोत्र’ का संस्कृत वृत्तों में अनुवाद
  • गंगा लहरी (1891 ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ की ‘गंगालहरी’ का सवैयों में अनुवाद
  • ऋतुतरंगिणी (1891 ई.)- कालिदास के ‘ऋतुसंहार’ का छायानुवाद
  • सोहागरात (अप्रकाशित)- बाइरन के ‘ब्राइडल नाइट’ का छायानुवाद
  • कुमारसम्भवसार (1902 ई.)- कालिदास के ‘कुमारसम्भवम्’ के प्रथम पाँच सर्गों का सारांश

मौलिक गद्य रचनाएँ

  • नैषध चरित्र चर्चा (1899 ई.)
  • तरुणोपदेश (अप्रकाशित)
  • हिन्दी शिक्षावली तृतीय भाग की समालोचना (1901 ई.)
  • वैज्ञानिक कोश (1906ई.),
  • नाट्यशास्त्र (1912ई.)
  • विक्रमांकदेवचरितचर्चा (1907ई.)
  • हिन्दी भाषा की उत्पत्ति (1907ई.)
  • सम्पत्ति-शास्त्र (1907ई.)
  • कौटिल्य कुठार (1907ई.)
  • कालिदास की निरकुंशता (1912ई.)

गद्य (अनूदित)

  • भामिनी-विलास (1891ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ के ‘भामिनी विलास’ का अनुवाद
  • अमृत लहरी (1896ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ के ‘यमुना स्तोत्र’ का भावानुवाद
  • बेकन-विचार-रत्नावली (1901ई.)- बेकन के प्रसिद्ध निबन्धों का अनुवाद
  • शिक्षा (1906ई.)- हर्बर्ट स्पेंसर के ‘एजुकेशन’ का अनुवाद
  • स्वाधीनता (1907ई.)- जॉन स्टुअर्ट मिल के ‘ऑन लिबर्टी’ का अनुवाद
  • जल चिकित्सा (1907ई.)- जर्मन लेखक लुई कोने की जर्मन पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद का अनुवाद

वर्ण्य विषय

हिंदी भाषा के प्रसार, पाठकों के रुचि परिष्कार और ज्ञानवर्धन के लिए द्विवेदी जी ने विविध विषयों पर अनेक निबंध लिखे। विषय की दृष्टि से द्विवेदी जी निबंध आठ भागों में विभाजित किए जा सकते हैं – साहित्य, जीवन चरित्र, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, उद्योग, शिल्प भाषा, अध्यात्म। द्विवेदी जी ने आलोचनात्मक निबंधों की भी रचना की। उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में संस्कृत टीकाकारों की भांति कृतियों का गुण-दोष विवेचन किया और खंडन-मंडन की शास्त्रार्थ पद्धति को अपनाया है।

भाषा

द्विवेदी जी सरल और सुबोध भाषा लिखने के पक्षपाती थे। उन्होंने स्वयं सरल और प्रचलित भाषा को अपनाया। उनकी भाषा में न तो संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है और न उर्दू-फारसी के अप्रचलित शब्दों की भरमार है। वे गृह के स्थान पर घर और उच्च के स्थान पर ऊँचा लिखना अधिक पसंद करते थे। द्विवेदी जी ने अपनी भाषा में उर्दू और फारसी के शब्दों का निस्संकोच प्रयोग किया, किंतु इस प्रयोग में उन्होंने केवल प्रचलित शब्दों को ही अपनाया। द्विवेदी जी की भाषा का रूप पूर्णतः स्थित है। वह शुद्ध परिष्कृत और व्याकरण के नियमों से बंधी हुई है। उनका वाक्य-विन्यास हिंदी को प्रकृति के अनुरूप है कहीं भी वह अंग्रेज़ी या उर्दू के ढंग का नहीं।

पावती (Acknowledgement)

मैं अपने अंग्रेजी शिक्षक _____ (शिक्षक का नाम) के साथ-साथ हमारे प्रिंसिपल _____ (प्रिंसिपल का नाम) के प्रति अपना विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे _____ विषय पर इस अद्भुत प्रोजेक्ट को करने का सुनहरा अवसर दिया (लिखें) विषय का नाम) दूसरे, मैं अपने माता-पिता और दोस्तों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने सीमित समय सीमा के भीतर इस परियोजना को अंतिम रूप देने में मेरी बहुत मदद की।

अंत में, मैं अपने सभी समर्थकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे समय सीमा से पहले अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए प्रेरित किया।

ग्रन्थसूची (Bibliography)

मेरी प्रोजेक्ट फ़ाइल को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए। मैंने निम्नलिखित वेबसाइट से मदद ली है

  1. फ्लैश एजुकेशन- शैक्षिक सामग्री वाली एक उपयोगी वेबसाइट। (वेबसाइट: FlashEducation.online)
  2. विकिपीडिया – एक ऑनलाइन विश्वकोश जहाँ मुझे उपयोगी तथ्य मिले। (वेबसाइट: विकिपीडिया)
  3. Topper.com – एक अन्य वेबसाइट जो बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती है। (वेबसाइट:topper.com)
  4. Freepik.com – एक अन्य वेबसाइट जो मूल्यवान इन्फोग्राफिक्स प्रदान करती है (वेबसाइट: Freepik.com)

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